शेखावाटी के टॉप डेवलपर बाबूलाल वर्मा को मुंबई कोर्ट में एससी गाइडलाइन के तहत पीएमएलए आरोपों से किया गया बरी

शेखावाटी के टॉप डेवलपर बाबूलाल वर्मा को मुंबई कोर्ट में एससी गाइडलाइन के तहत पीएमएलए आरोपों से किया गया बरी

जयपुर 25 अगस्त 2022: मुंबई के प्रमुख रियल एस्टेट व्यक्तियों में से एक, जयपुर के शेखावाटी क्षेत्र के ओंकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स के प्रमोटर, श्री बाबूलाल वर्मा, को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी भी गलत काम में लिप्त न पाए जाने पर बरी कर दिया गया है।

मुंबई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश को पूर्ण बना दिया और ओंकार समूह के प्रमोटर को यह कहते हुए बरी कर दिया कि यदि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है, तो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्यवाही जारी नहीं रह सकती है।

शेखावाटी क्षेत्र (नवलगढ़-सीकर डिवीजन) की जड़ों से जुड़े हुए वर्मा, जयपुर के एक मध्यम आय वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक ऐसे लड़के की तरह हैं, जिसने देश के प्रमुख रियल एस्टेट बाजार में बुलंद ऊंचाइयों को छुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त लक्जरी आवास के अलावा सबसे अधिक मात्रा में पुनर्वास घरों को वितरित करने का गौरव प्राप्त किया है। इसमें मुंबई में जारी प्रोजेक्ट्स भी हैं, जिनमें से कुछ भारत की सबसे ऊंचे आवासीय टावर्स हैं। उनकी कंपनी ओंकार ग्रुप को महाराष्ट्र सरकार की स्लम पुनर्वास योजना के तहत मुंबई क्षेत्र में 75,000 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियों के पुनर्वास का श्रेय दिया जाता है। और कंपनी की सीएसआर पहल के तहत, ओमकार फाउंडेशन को मुंबई, जयपुर और गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों में, समाज के कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक परियोजनाओं की एक श्रृंखला को लागू करने का श्रेय दिया जाता है। कंपनी अब मुंबई में महालक्ष्मी में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे पुनर्वसन आवासीय टॉवर की आपूर्ति करने के लिए तैयार है, जो 8,000 से अधिक झुग्गी बस्तियों में रहने वालों का पुनर्वास करेगा।

जनवरी 2021 में उन्हें साथी श्री कमल गुप्ता के साथ एक पीएमएलए मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत में लिया गया था। खास बात यह है कि उनकी कंपनी ओंकार समूह ने उनकी हिरासत के बावजूद, देश के शीर्ष वित्तीय संस्थानों और एलएंडटी, पिरामल, गोदरेज सहित प्रमुख संयुक्त उद्यम भागीदारों के निरंतर समर्थन के साथ कई मेगा आवासीय परियोजनाओं में सफलतापूर्वक संचालन जारी रखा है।

बुधवार को उन्हें इस मामले से बरी करते हुए, विशेष न्यायाधीश, एमजी देशपांडे ने अपने फैसले में जोर दिया कि "यह स्पष्ट है कि यदि कोई अनुसूचित/अनुमानित अपराध नहीं है, तो पीएमएलए मामला जारी नहीं रह सकता है। इसी तरह, अनुसूचित अपराध से संबंधित मामले की अनुपस्थिति में पीएमएलए अदालत को पीएमएलए मामले को जारी रखने का अधिकार नहीं हो सकता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश... बहुत स्पष्ट हैं। इस अदालत के पास पीएमएलए के तहत, यदि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है तब आरोपी की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।" बता दें कि पीएमएलए की संवैधानिकता को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद यह इस तरह का अपने आप में पहला फैसला माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पीएमएलए पर अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि अगर किसी व्यक्ति को उसके खिलाफ दायर अनुसूचित अपराध में अदालत द्वारा दोषमुक्त किया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अलग से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

हमारे बारे में

इंदिरा नगर लखनऊ उत्तर प्रदेश

9450165626

vstnewseditor@gmail.com

Follow Us
समाचार पत्रिका

Vst News

vst News LIVE हिंदी के सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन समाचार पोर्टल में से एक है। दैनिक अद्यतन ई-पेपर के लिए, हमारे ई-पेपर अनुभाग पर जाएँ।

VstNews.in . All Rights Reserved. Design by Business Innovation