*काले मेघों के इंतजार में किसान बेहाल*
मोहनलालगंज लखनऊ मौसम विभाग भले ही किसानों को मौसम से अवगत कराता हो लेकिन किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें पानी न बरसने से खिंचती जा रही हैं कि काले मेघ कहा चले गए। मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र के किसानों ने कहा की मौसम विभाग पूर्वानुमान जारी करता है जिसको देखते हुए किसानों ने धान की नर्सरी किसी तरह तैयार कर ली लेकिन आसमान की ओर ताकते हुए किसान देख रहे हैं कि आखिर काले मेघ कब पानी देंगे तो फसलों की बुवाई शुरू होगी ,फिलहाल जिन किसानों के पास पानी के निजी संसाधन है उन्हें डीजल की महंगाई के कारण सिंचाई कर पाना असंभव हो रहा है कि आखिर खरीफ की फसल कैसे तैयार होगी बुजुर्ग किसान का कहना है कि सरकार भी रोज नए नए आदेश जारी करती है लेकिन अमल में नहीं आता ,खनन का कार्य,हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटान एवं मिट्टी का खनन करने से प्रकृति का परिवर्तन निश्चित है जो कि आगाह करती है कि अभी भी वक्त है इंसान संभल जाए लेकिन पैसे का लालच इंसान को गड्ढे में धकेलने में लगा है आखिर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कब तक जारी रहेगा यह बहुत ही गंभीर विषय है यदि समय रहते सरकार ने ध्यान न दिया तो आगे आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत भीषण तबाही हो सकती है किसी ने सच ही कहा है कि , *जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है* *सूखे कुएं तुम्हारा इम्तहान बाकी है* ।। *बरस जाना वक्त पर ए मेघ किसी का मकान गिरवी है तो किसी का लगान भी बाकी है* ।किसानों ने लगाई पुकार कि इंद्रदेव आखिर कब कृपा करके हम सबको पानी दोगे जिससे कि चारों ओर हरियाली छा सके, बिन पानी सब सून महीना बीत गया अब जून, आमतौर पर आषाढ़ माह में बारिश यानी जून में हो जाया करती थी जिससे किसान खरीफ की फसल बोने के लिए तैयार रहते थे लेकिन जून बीत गया जुलाई का भी आधा माह बीत गया यानी सावन माह चल रहा है फिर भी अभी पानी बरसने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचती जा रही हैं कि धान की नर्सरी तैयार है काले मेघा के बिना आखिर कैसे धान की रोपाई करें दूसरी ओर छुट्टा पशुओं से फसल बचाना चोर सिपाही का खेल साबित हो रहा है ।नहरों में पानी नहीं आ रहा जबकि किसानों ने प्रशासन से नहरों में पानी छोड़ने के लिए कहा था परंतु कई दिन बीतने के बाद भी कोई पुरसाहाल नही हो पाया।
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