*इ.गां.रा.ज.विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा रामतिल फसल पर कृषक प्रशिक्षण का सफल आयोजन*

*इ.गां.रा.ज.विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा रामतिल फसल पर कृषक प्रशिक्षण का सफल आयोजन*

*अनूपपुर (मध्य प्रदेश)* राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑइल पाम एवं खाद्य सुरक्षा मिसन, भारत सरकार के तिलहन उत्पादन को बढ़ाने हेतु किए जा रहे प्रयासों के तहत एवं किसानों को तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रामतिल उत्पादन तकनीक एवं खरपतवार प्रबंधन विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक द्वारा एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, मुख्य अतिथि डॉ. सूर्य नारायण भास्कर, सहायक महानिदेशक, (शस्य विज्ञान, कृषि वानिकी एवं जलवायु परिवर्तन) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि डॉ. जे. एस. मिश्रा, निदेशक, भाकृअनुप- खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर म. प्र., विशिष्ट अतिथि डॉ. पी. के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, (कृषि प्रसार), भाकृअनुप- खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर म. प्र., श्री पी. सीलुवैनाथन, कुलसचिव, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक,  गुप्ता, उपसंचालक कृषि, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, अनूपपुर एवं जिले के कृषक उपस्थित रहे ।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अथितियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। डॉ. एस. के. पांडे, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, इ.गां.रा.ज.विश्वविद्यालय, अमरकंटक, द्वारा अथितियों का स्वागत करते हुए स्वागत भाषण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक  सूर्यकांत नागरे, विषय वस्तु विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) ने बताया कि इ.गां.रा.ज. विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र, द्वारा पिछले 4 वर्षो में किसानों को रामतिल में अमरबेल के प्रबंधन एवं उन्नत उत्पादन तकनीक विषय पर लगातार प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्नत क़िस्मों के बीज उपलब्ध कराये गए है। जिससे कृषकों की प्रति हेक्टयेर पैदावार में वृद्धि हुई है एवं कृषकों की रामतिल फसल में पुनः रुचि बढने लगी है।  उपसंचालक कृषि, ने किसानों को केंद्र एवं राज्य सरकार की किसान हितेषी योजना के बारे में जानकारी देते हुये जिले में रामतिल उत्पादन में आ रही समस्याओं से अवगत कराया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा रामतिल के फूल से निकले शहद के महत्व और औषधीय गुणों को बताते हुए किसानों से आह्वान किया की रामतिल के क्षेत्र का विस्तार कर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सूर्य नारायण भास्कर ने पर्यावरण परिवर्तन पर किसानों का ध्यान केंद्रित करते हुए किसानों को जल व वन संरक्षण के महत्व को बताया और जिले में धान की सीधी बुवाई की तकनीक को बढ़ावा देने हेतु अपने विचार व्यक्त किए। डॉ जे. एस. मिश्रा ने रामतिल में अमरबेल खरपतवार का समन्वित खरपतवार प्रबंधन तकनीक पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। डॉ पी. के. सिंह द्वारा रामतिल की अधिक उत्पादन देने वाली नवीन क़िस्मों से अवगत कराते हुये रामतिल तेल के औषधीय गुणों पर विस्तार से चर्चा की । विश्वविद्यालय के कुलसचिव  पी. सीलुवैनाथन द्वारा ह्रदय रोग के उपचार हेतु रामतिल के तेल के महत्व के विषय में विस्तार से जानकरी दी। प्रगतिशील किसान  प्रताप सिंह धुर्वे, निवासी ग्राम पमरा, ने पधारे हुए अतिथियों को कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी मार्गदर्शन में किसानों के रामतिल की पैदावार में हुई वृद्धि से अवगत कराया।

डॉ. सूर्यकांत नागरे जो कि

कार्यक्रम संयोजक एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) द्वारा कार्यक्रम की रूप रेखा रखी गई।

कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, के योगेश कुमार, विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि वानिकी) एवं डॉ अनीता ठाकुर, विषय वस्तु विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) द्वारा किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन संदीप चौहान, विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि प्रसार), द्वारा किया गया एवं  सुनील राठौर, विषय वस्तु विशेषज्ञ (खाद्य विज्ञान), द्वारा आगंतुक अथितियों एवं किसानों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न गाँव से पधारे 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

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