*काफ़िर से इत्तिहाद नहीं हो सकता मौलाना सैफ़ अब्बास।*
ताहिर हुसैन हाशमी
लखनऊ।इमामबाड़ा सैय्यद तक़ी साहब में,अशर ए मजालिस के दौरान। मोहर्रम की दूसरी मजलिस को विलायत के उनवान पर ख़िताब करते हुए। मौलाना सैफ़ अब्बास नक़वी ने कहा कि सिर्फ़ कुआर्न को मान लेने से आपस मे इत्तिहाद नही हो सकता। जब तक अहलेबैत की विलायत को भी ना माना जाए। क्योंकि अल्लाह के रसूल (अ.स) ने आखरी वक़्त फरमाया था।कि मैं तुम्हारे बीच दो शक्तिशाली चीजें छोडे जा रहा हूॅं।एक ख़ुदा की किताब कुआर्न और दुसरे मेरे अहलेबैत।अगर तुम एक साथ रहना चाहते हो।और गुमराह नही होना चाहते,तो इन दोनो को मानते रहना होगा।इससे यह ज़ाहिर होता है कि, कोई भी व्यक्ति उस वक्त तक मुसलमान नहीं हो सकता।जब तक अहलेबैत की विलायत का इक़रार न करे। क्यों कि विलायत उसुले दीन का एक हिस्सा है। जिसका इन्कार करने वाला काफ़िर है।और काफ़िर से इत्तेहाद नही हो सकता।मौलाना सैफ अब्बास ने इमाम हुसैन (अ.स) और अहलेहरम का कर्बला पहुचने का ज़िक्र किया।जिसे सुनकर अज़ादारों ने गिरिया व मातम किया।
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