*चांदी की ज़रियोंऔर अलमों की डिमांड बढ़ी।*
ताहिर हुसैन हाशमी
लखनऊ।मोहर्रम का महीना शुरू होते ही इबादत गाहों,कर्बलाओं इमामबाड़ों और घरों में,अजादारी का सिलसिला शुरू हो जाता है।अपने अपने घरों में लोग आमतौर पर दफ़्ती ऒर कागज के रंगीन,डिज़ाइन दार और फैंसी ताजिए अपने अपने घरों के अज़ाखानों मे रखते हैं।वहीं इमामे हुसैन,(अ.स) के चाहने वाले लोग जो हैसियत मन्द हैं।वह लोग चांदी की ज़रीयां बनवा कर अपने अपने घरों के इमामबाड़ों को सजा रहे हैं।इस सिलसिले में चौक के एक चांदी कारीगर अज़हर हुसैन ने बताया कि उनके यहां चांदी की तीन किलो की एक ज़री जिसकी क़ीमत 2.25 लाख है ऑर्डर पर तैयार की गई है।इस ज़री को शहर के ही रहने वाले,इमाम के चाहने वाले एक अजादार ने,ऑर्डर देकर बनवाया है।
जो आकर्षक का केन्द्र बनी हुई है।अज़हर के मुताबिक वैसे भी चांदी की ज़रियों और अलमों की डिमांड है।ज़्यादातर लोग अपने अपने अज़ाखानों में, चांदी की ज़रियों और अलमों से,इमामबाड़ों को सजा रहे हैं।दुकान के प्रोपाइटर दिलबर हुसैन बताते हैं।कि यह उनका काफ़ी पुराना, और पुश्तैनी काम है।उनके बुज़ुर्गों की कई पुश्तें इस काम को, करते करते गुज़र गईं।उन्होंने यह काम अपने वालिद जव्वार हुसैन मरहूम से सीखा था।उनके इंतकाल के बाद से यह अपने भाई के साथ इस काम को कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ,ज़री के अलावा चांदी के अलम, मोहर्रम के पूरे सामान के साथ साथ, मन्नती सामान भी उनकी दुकान पर मिलता है।
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