कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने ‘बाल विवाह’रोकने के लिए स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं का किया सम्‍मेलन

कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने ‘बाल विवाह’रोकने के लिए स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं का किया सम्‍मेलन

‘बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है, इसे रोकना ही होगा’

लखनऊ,  सितंबर 2022: नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन(केएससीएफ) ने ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ के अभियान का ऐलान किया है। इसी संबंध में स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं को एकजुट करने और इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ने के लिए प्रदेश की राजधानी में एक सम्‍मेलन का आयोजन किया गया। अन्‍य राज्‍यों में क्रमवार इसी तरह सम्‍मेलन आयोजित किए जाएंगे। केएससीएफ ने यह सम्‍मेलन राज्‍य के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मिलकर किया है।

सम्‍मेलन में बाल विवाह और इसे रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट और पॉक्‍सो एक्‍ट से जोड़ने पर गहन विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्‍त से सख्‍त सजा दिलाना है। साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई। इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्‍हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्‍साहन देने की भी बात कही गई।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 23.3 लाख बच्‍चों का बाल विवाह किया गया, जो कि पूरे देश के बाल विवाह का 19 प्रतिशत है। यह आंकड़ा चिंताजनक है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए प्रदेश में अधिक ध्‍यान दिए जाने की जरूरत है।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि उत्‍तर प्रदेश में साल 2019-21 की अवधि में बाल विवाह के 22 मामले ही दर्ज किए गए हैं। यह दर्शाता है कि बाल विवाह के मामलों की पुलिस में शिकायत ही नहीं की जा रही है और लोग इस सामाजिक बुराई को लेकर गंभीर नहीं हैं। सम्‍मेलन में इस बात पर चिंता जाहिर की गई और जनता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से इस मामले में गंभीरता बरतने की अपील की गई।

इस मौके पर राज्‍य के बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्‍य सुचित्रा चतुर्वेदी, आईपीएस रुचिता चौधरी और केएससीएफ के सहयोगी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) के निदेशक मनीष शर्मा मौजूद थे।

बाल विवाह जैसे गंभीर विषय पर अपने विचार रखते हुए सुचित्रा चतुर्वेदी ने कहा, ‘बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई पर मौजूदा समय  में बात करना काफी प्रासंगिक है और आयोग इस मौके पर उठाए गए मुद्दों पर सहमति जताता है। आयोग इस गंभीर समस्‍या से निपटने में पूरी तरह से सहयोग करेगा।’ साथ ही उन्‍होंने कहा कि आयोग यहां गहन विमर्श से निकली बातों को प्रदेश सरकार तक पहुंचाएगा और प्रदेश, देश में बाल विवाह मुक्‍त होना वाला पहला प्रदेश बनेगा। उन्‍होंने आगे कहा कि बाल विवाह के खात्‍मे के लिए सभी को एकजुट होकर सामूहिक रूप से प्रयत्‍न करना होगा।

बाल विवाह से बच्‍चों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों पर चिंता जताते हुए बीबीए निदेशक मनीष शर्मा ने कहा,  ‘बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है और इसे बच्‍चों के प्रति अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्‍चों के शारीरिक व मानसिक विकास का शत्रु है। बाल विवाह की इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर सामूहिक प्रयास करना होगा।’ मनीष शर्मा ने आगे कहा, ‘उनका संगठन

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