डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ अन्य साधनों के लिए समानता के उद्देश्य से फॉरेन एक्सचेंज इंडस्ट्री ने प्रस्तावित 20% टीसीएस पर स्पष्टता की माँग की है

डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ अन्य साधनों के लिए समानता के उद्देश्य से फॉरेन एक्सचेंज इंडस्ट्री ने प्रस्तावित 20% टीसीएस पर स्पष्टता की माँग की है

01 जून, 2023: फॉरेन एक्सचेंज इंडस्ट्री ने गंभीर समस्याओं पर चिंता व्यक्त की है, जो 1 जुलाई, 2023 से प्रभावी होने वाले लिब्रलाइज़्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत 20% टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) के लागू होने के संबंध में है। 19 मई, 2023 को वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके विदेश में किए जाने वाले लेनदेनों पर एक निम्न मूल्य तक टीसीएस छूट दी जाएगी। यह छूट प्रति वित्तीय वर्ष के लिए 7 लाख रुपए तक के न्यूनतम मूल्य की होगी। 

हालाँकि, इस दौरान इससे न्यूनतम मूल्य के लेनदेन के संबंध में कोई विशेष स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था, जिसमें विदेशी मुद्रा नकद, बैंकों के माध्यम से वायर ट्रांसफर्स, प्री-पेड फॉरेक्स कार्ड्स और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भुगतान विकल्प शामिल हैं, जिनका उपयोग व्यक्तियों द्वारा अवकाश या रोजगार के लिए विदेशी यात्राओं के दौरान व्यापक रूप से किया जाता है। ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ ऑथराइज्ड मनी चेंजर्स एंड मनी ट्रांसफर एजेंट्स ने उपरोक्त चिंताओं के संबंध में वित्त मंत्रालय को एक निरूपण प्रस्तुत किया है।

भास्कर राव पी, जनरल सेक्रेटरी- द ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ ऑथराइज्ड मनी चेंजर्स एंड मनी ट्रांसफर एजेंट्स, ने कहा, "मनी एक्सचेंज इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार 7 लाख रुपए तक के न्यूनतम मूल्य वाले सभी विदेशी लेनदेनों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करेगी, भले ही फिर उनके द्वारा किसी भी साधन का उपयोग किया गया हो। आम जनता विदेशी मुद्रा नकद (अधिकतम 3000 अमरीकी डालर तक), प्रीपेड फोरेक्स ट्रेवल कार्ड्स और वायर ट्रांसफर्स का उपयोग करती है, जबकि उच्च वर्ग इंटरनेशनल डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स का उपयोग करता है।

डीजीसीए द्वारा प्रकाशित अप्रवासन आँकड़ों के अनुसार, 60 प्रतिशत से अधिक विदेशी यात्री पहली बार यात्रा करने वाले होते हैं। ये आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग हैं, जो कम पढ़े-लिखे हैं, और जिनके पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। इसलिए ये डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों के साथ समानता के पात्र हैं। यह अधिसूचना प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार के लिए विदेश यात्रा करने वाले व्यक्तियों को प्रभावित करेगी। इसमें विशेष रूप से श्रमिक वर्ग शामिल है, जो आम तौर पर कम आय वाले समूह से संबंधित है और क्रेडिट कार्ड के लिए पात्रता नहीं रखता है। ये यात्री आम तौर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स या शहर के आउटलेट्स पर संचालित मनी एक्सचेंज आउटलेट्स से नकद या प्रीपेड कार्ड के रूप में विदेशी मुद्रा खरीदते हैं। उन पर 20% टीसीएस को लागू करने का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे आयकर दायरे में नहीं आते हैं।

क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लिए दी गई इस छूट के साथ, उच्च मध्यम वर्ग और धनी ग्राहकों को अपने पास मौजूद प्रति क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड पर 7 लाख रुपए तक के लेनदेन के लिए टीसीएस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। वहीं निचले मध्यम वर्ग के ग्राहक, गृहिणियाँ और वरिष्ठ नागरिक, जो अपने खाते से भुगतान करके विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं, वे 20% टीसीएस के अधीन होंगे। यह उन ग्राहकों के लिए बेहद हानिकारक साबित होगा, जिन्हें टैक्स फाइल करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही, यह भारत में लाइसेंस प्राप्त मुद्रा परिवर्तकों की व्यावसायिक व्यवहार्यता को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। इंडस्ट्री को उम्मीद है कि मंत्रालय / सरकार आगे स्पष्टीकरण प्रदान करेगी कि प्रति वर्ष 7 लाख रुपए तक टीसीएस की छूट नकद विदेशी मुद्रा खरीद, वायर ट्रांसफर्स और प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड्स पर भी लागू होगी।

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